मंगळवार, १६ सप्टेंबर, २०२५

" विचार शृंखला " 3, 4, 5.

                 " विचार शृंखला "                           3) नोकरी काय पैशासाठीच असते का? शरीरात बरोबर ती बुद्धीची गुंतवणूक अडते.            वपुर्झा /257/Surendra / 16092025-

-------------------------------------------------------4)      "  सौन्दर्याने समाजातला वावर सांभाळून केला पाहिजे. सौन्दर्याने आपलं अस्तित्व स्वतः पुरतंच ठेवायला हवं. शिंपलीतला मोती, शिंपली उघडली तरच दिसतो. तसच सौदर्य निराकाराच्या अवगुंठनात नंदावं. "

पुर्झा /256/Surendra / 15092025

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5).  " शांततेमागे तृप्ती असावी,

.       सुतक नसावे. 

        तटस्थतेमागे जाणीव असावी, 

        तडफडाट नसावा. "

वपुर्झा /253/Surendra / 15092025

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