" विचार शृंखला " 3) नोकरी काय पैशासाठीच असते का? शरीरात बरोबर ती बुद्धीची गुंतवणूक अडते. वपुर्झा /257/Surendra / 16092025-
-------------------------------------------------------4) " सौन्दर्याने समाजातला वावर सांभाळून केला पाहिजे. सौन्दर्याने आपलं अस्तित्व स्वतः पुरतंच ठेवायला हवं. शिंपलीतला मोती, शिंपली उघडली तरच दिसतो. तसच सौदर्य निराकाराच्या अवगुंठनात नंदावं. "
पुर्झा /256/Surendra / 15092025
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5). " शांततेमागे तृप्ती असावी,
. सुतक नसावे.
तटस्थतेमागे जाणीव असावी,
तडफडाट नसावा. "
वपुर्झा /253/Surendra / 15092025
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